उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय सेना 140 करोड़ नागरिकों के लिए गौरव का प्रतीक है.उन्होंने दोहराया कि सेना की बहादुरी और वीरता निर्विवाद है और राष्ट्र को उसकी क्षमताओं पर अटूट भरोसा है.
11 गोरखा राइफल रेजिमेंटल सेंटर में आयोजित ‘किरंती शौर्य समारोह’ को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने आगे कहा, “भारतीय सेना का एक गौरवशाली इतिहास है. हमारे सैनिकों ने युद्धकाल और शांतिकाल दोनों में देश की रक्षा और सेवा करने का एक आदर्श उदाहरण स्थापित किया है.”
उन्होंने सबसे चुनौतीपूर्ण और दुर्गम परिस्थितियों में भी भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए उनकी निस्वार्थ प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए भारतीय सैनिकों के समर्पण की प्रशंसा की. गोरखा राइफल को भारत की आजादी के बाद गठित होने वाली पहली रेजिमेंट होने का गौरव प्राप्त है.
कार्यक्रम के दौरान सीएम योगी ने जवानों के अद्भुत प्रदर्शन के साथ-साथ कराटे और बच्चों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी देखीं. दर्शकों ने तालियां बजाकर जवानों का हौसला बढ़ाया. भारतीय सेना के अदम्य साहस के गौरवशाली क्षणों को देखकर सीएम अभिभूत हो गये. उन्होंने वीर नारियों का सम्मान किया और केंद्र के सफल 75 वर्ष पूरे होने पर बधाई दी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश वीरों की भूमि है. यह मंगल पांडे, झाँसी की वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई, शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, अशफाकुल्लाह खान और वीर हामिद जैसे महान क्रांतिकारियों की मातृभूमि है. देश की सुरक्षा के लिए हर लड़ाई में सैनिकों ने अहम योगदान दिया है.
उन्होंने देश की सुरक्षा के लिए हर लड़ाई में सैनिकों के महत्वपूर्ण योगदान, अपने साहस और वीरता से राज्य का गौरव बढ़ाने पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, “अनुशासन, देशभक्ति और युद्ध कौशल गोरखा रेजिमेंट की पहचान हैं।” सीएम ने कहा कि गोरखा की बहादुरी की गाथा न केवल भारत के भीतर गूंजती है, बल्कि दुनिया भर की कई सेनाओं से भी मान्यता प्राप्त करती है। उन्होंने कहा, गोरखा केवल शब्दों के माध्यम से नहीं बल्कि तैनाती के दौरान सीमा पर अपने वीरतापूर्ण कार्यों के माध्यम से अपना साहस प्रदर्शित करते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 11वीं गोरखा रेजिमेंट, जो अपने बहादुर और बहादुर सैनिकों के लिए जानी जाती है, लखनऊ में तैनात है. अपनी स्थापना के बाद से, रेजिमेंट ने कई लड़ाइयाँ लड़ी हैं.
“1983 में लखनऊ आने के बाद इस रेजिमेंट ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.यहां के साहसी सैनिकों ने अपनी वीरता और बहादुरी से इतिहास के सुनहरे पन्नों में अपना नाम दर्ज कराया है. इस रेजिमेंट ने कैप्टन मनोज पांडे जैसे नायक पैदा किए हैं, जिन्होंने देश की सेवा की है.” बहुत साहस के साथ इस रेजिमेंट ने देश को दो सीडीएस और कई जनरलों की परंपरा दी है.”
उन्होंने आगे कहा कि 11वीं गोरखा रेजिमेंट के शहीद कैप्टन मनोज पांडे को देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था. सरकार ने देश के पहले सैनिक स्कूल का नाम कैप्टन मनोज कुमार पांडे के नाम पर रखा है. यह 11वीं गोरखा रेजिमेंट के सैनिकों को याद करने का अवसर है, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सेवारत एवं सेवानिवृत्त सैनिकों के साथ-साथ वीर नारियों के कल्याण के लिए तत्परता से कार्य कर रही है. सीमा की सुरक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिकों के परिजनों को 50 लाख रुपये की धनराशि और सरकारी नौकरी की भी व्यवस्था की गई है.