Delhi Pollution: यह स्थिति वास्तव में चिंताजनक है, और जसोला विहार के निवासियों के लिए यह स्वास्थ्य के गंभीर खतरे का कारण बन रही है. ओखला में स्थित कचरे से ऊर्जा बनाने वाला प्लांट (WTE प्लांट), जो हर दिन 2,000 टन ठोस कचरा जलाता है, आसपास के इलाके के पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहा है. इस प्लांट से निकलने वाले प्रदूषक तत्व, जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, और सल्फर डाइऑक्साइड, गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर रहे हैं. इन प्रदूषकों के संपर्क में आने से श्वसन रोग, अस्थमा, और अन्य फेफड़ों की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसा कि बंसल और उनके परिवार के सदस्यों के अनुभव से स्पष्ट है.
टाइ्म्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट मुताबिक, वहीं, कचरे से ऊर्जा उत्पादन के इस तरीके को लेकर कुछ अन्य वैज्ञानिक भी चिंतित हैं. जैसे कि बिस्वास ने बताया कि कचरे का अधूरा दहन इन जहरीले कणों को उत्पन्न करता है, जो स्वास्थ्य के लिए और भी अधिक हानिकारक हो सकते हैं. हालांकि, इस प्रक्रिया से बिजली उत्पादन के लिए उपयोगी ऊर्जा मिलती है, लेकिन इसके पर्यावरणीय और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को नजरअंदाज करना मुश्किल हो रहा है.
वहीं, सिवाय प्रदूषण के अन्य समस्याएं भी बढ़ रही हैं, जैसे कि गर्भवती महिलाओं में सांस लेने की समस्याएं और माइग्रेन की शिकायतें, जो पास के इलाके में बढ़ती जा रही हैं. डॉ. नीता मिश्रा के अनुसार, उनके मरीजों में त्वचा की समस्याएं और सांस की तकलीफें बढ़ रही हैं, जो इस इलाके के प्रदूषित पर्यावरण का नतीजा हो सकता है.
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह स्थिति उनके जीवन को खतरे में डाल रही है, और कई लोग सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद कर रहे हैं कि वह इस मुद्दे का समाधान निकाले. यह जरूरी है कि इस प्रकार के प्लांट्स के संचालन में प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरणीय सुरक्षा के उपायों को और सख्ती से लागू किया जाए, ताकि नागरिकों की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.