भारतीय ज्ञान शोध संस्थान द्वारा संचालित ज्योतिष कोर्स के विद्यार्थियों के ‘दीक्षांत समारोह 2024’ का पावन चिंतन धारा आश्रम प्रांगण भव्य आयोजन किया गया। इस भव्य समारोह में देशभर के विभिन्न शहरों से लगभग 500 विद्यार्थी और उनके परिवारजन शामिल हुए।
वहीं अब इस दीक्षांत सामरोह में दीप प्रज्वलन क्रार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। ज्योतिष पाठ्यक्रम की संयोजिका शीतल जी ने समारोह में आए सभी अतिथियों और विद्यार्थियों का स्वागत किया और भारतीय ज्ञान शोध संस्थान के ज्योतिष पाठ्यक्रम के बारे में जानकारी दी। समारोह के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉ. राजकुमार द्विवेदी और अन्य आचार्यगणों को सम्मानित किया गया।
डॉ. पवन सिन्हा ‘गुरुजी’ ने कहा, ज्योतिष एक प्राचीन विद्या है, जिसे त्रेता युग में भगवान श्रीराम और द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने भी पढ़ा। यह विद्या सदियों से चल रही है और आज भी इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पढ़ा और समझा जाता है। ज्योतिष किसी चमत्कार का विज्ञान नहीं है, बल्कि गणना और विश्लेषण के जरिए हम किसी व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इस विद्या का आयुर्वेद, योग और अष्टांग योग से भी गहरा संबंध है।
संस्थान के संस्थापक परमपूज्य डॉ. पवन सिन्हा ‘गुरुजी’ का कहना है कि प्रत्येक व्यक्ति को योग, आयुर्वेद के साथ-साथ ज्योतिष भी सीखना चाहिए जिससे वह कई तरह के लक्षणों के आधार पर गणना करते हुए रोगों आदि के बारे में आंकलन कर सके और सही समय पर उचित चिकित्सीय सलाह भी दे सके। इस प्रकार से वह अपने ज्ञान और अनुभव को समाज के लिए उपयोगी बनाते हुए समाज की सेवा कर सके।
संस्थान की निदेशिका, डॉ. कविता अस्थाना जी ने कहा कि शिक्षा कभी समाप्त नहीं होती। एक ज्योतिषी को हमेशा आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अपने ज्ञान को बढ़ाना चाहिए। परमपूज्य डॉ. पवन सिन्हा ‘गुरुजी’ ने ज्योतिष शास्त्र की वैज्ञानिकता पर प्रकाश डाला और विद्यार्थियों को निरंतर सीखने की प्रेरणा दी।
मुख्य अतिथि डॉ. राजकुमार द्विवेदी ने छात्रों को उनकी सफलता के लिए बधाई दी और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। उन्होंने ज्योतिष के व्यावहारिक उपयोग पर भी बात की और उपस्थित सभी लोगों को ज्योतिष के महत्व को समझाया।
सभी आचार्यगणों ने विद्यार्थियों को उनके भविष्य के लिए प्रेरित किया और उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उत्साहित किया। इसके बाद, हर बैच के शीर्ष विद्यार्थियों को स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक से सम्मानित किया गया।
समारोह का समापन सामूहिक फोटो और धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। सभी विद्यार्थियों ने ज्योतिष शास्त्र के संरक्षण और समाज में इसके सही प्रचार के लिए काम करने का संकल्प लिया।
भारतीय ज्ञान शोध संस्थान भारतीय प्राच्य विद्याओं के पुनर्जागरण के लिए कई कार्यक्रमों और पुस्तक प्रकाशन के माध्यम से कार्य करता आ रहा है।