Bangladesh student Protests: बांग्लादेश इन दिनों हिंसा में आग से जल उठा है. देश में छात्रों का हिंसक प्रदर्शन लगातार जारी है. इस पर काबू पाने के लिए शेख हसीना की सरकार ने प्रदर्शनकारियों और उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया है. छात्र सरकारी नौकरियों में आरक्षण को समाप्त करने की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं. इस प्रदर्शन में अब तक 133 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है तो वहीं 2500 से अधिक लोग घायल हो गए है. सरकार हालात को काबू में करने के लिए सभी प्रकार के हथकंडे अपना रही है.इसके साथ ही आज देश में देशव्यापी कर्फ्यू को आज दोपहर तीन बजे तक के लिए बढ़ा दिया है.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, ढाका की खाली सड़कों पर सैनिकों का गश्त जारी है. सरकार ने सभी कार्यालयों और संस्थानों को दो दिनों के लिए बंद कर दिया है. शनिवार को ढाका के कुछ इलाकों में हुई झड़पों में कम से कम चार लोगों की मौत हो गई, जिससे कुल मृतकों की संख्या 144 हो गई है. शेख हसीना की सरकार ने स्थिति को देखते हुए रविवार और सोमवार को “सार्वजनिक अवकाश” घोषित कर दिया है.
बांग्लादेश में “रजाकार” शब्द को अपमानजनक माना जाता है और इसके पीछे एक लंबा इतिहास है. 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के दौरान, पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान (जो अब बांग्लादेश है) के लोगों पर भारी अत्याचार किए थे. उस समय पाकिस्तान ने बांग्लादेश में ईस्ट पाकिस्तानी वालेंटियर फोर्स का गठन किया था. इस दौरान कट्टरपंथी इस्लामवादियों द्वारा समर्थित पाकिस्तानी सशस्त्र बलों ने स्वतंत्रता संग्राम को दबाने और लोगों को आतंकित करने के लिए तीन मुख्य मिलिशिया बनाई थीं: रजाकार, अल-बद्र, और अल-शम्स.
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