PM Modi on Government White Paper: भारत सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को लेकर श्वेतपत्र जारी किया है. यह श्वेतपत्र, आम चुनाव से पहले पिछले संसद सत्र में पेश किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अर्थव्यवस्था को लेकर श्वेतपत्र पर अपना बयान दिया. पीएम ने कहा कि उनकी सरकार 2014 में ही सत्ता में आने पर अर्थव्यवस्था पर श्वेत पत्र ला सकती थी लेकिन उन्होंने ‘राजनीति’ के बजाय ‘राष्ट्रनीति’ को चुना क्योंकि वह देश के आत्मविश्वास को हिलाना नहीं चाहते थे.
प्रधानमंत्री यहां राष्ट्रीय राजधानी में वैश्विक व्यापार शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा,”10 साल पहले, 2014 से पहले, जिन नीतियों पर देश चल रहा था, वे देश को गरीबी के रास्ते पर ले जा रही थीं. संसद के इस सत्र में आर्थिक स्थितियों को लेकर एक ‘श्वेत पत्र’ भी रखा गया है. मैं ला सकता था यह ‘श्वेत पत्र’ 2014 में भी था. अगर मुझे अपना राजनीतिक स्वार्थ पूरा करना होता तो मैं इसे 2014 में वापस लाता.”
उन्होंने आगे कहा,”मेरे सामने जो बातें सामने आईं, उससे मैं हैरान रह गया. आर्थिक हालत बदतर थी. अगर मैं ये बातें बता देता तो देश का भरोसा खत्म हो जाता. लोगों को लगता था कि बचने का कोई रास्ता नहीं बचेगा. राजनीतिक तौर पर यह मेरे लिए अनुकूल होता. मैंने राजनीति का रास्ता छोड़ दिया और राष्ट्रनीति का रास्ता चुना. अब जब 10 वर्षों में हम उस स्थिति में आ गए हैं जहां हम कुछ भी लड़ सकते हैं, तो मैंने सोचा कि मुझे देश के सामने सच्चाई बतानी चाहिए.”
कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के 10 साल के आर्थिक प्रबंधन की तुलना मोदी सरकार से करने वाला श्वेत पत्र गुरुवार को संसद में पेश किया गया. श्वेत पत्र में कहा गया है कि जब 2014 में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार बनी, “अर्थव्यवस्था नाजुक स्थिति में थी, सार्वजनिक वित्त खराब स्थिति में था, आर्थिक कुप्रबंधन और वित्तीय अनुशासनहीनता थी और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार था.”
“यह एक संकट की स्थिति थी.अर्थव्यवस्था को चरण दर चरण सुधारने और शासन प्रणालियों को व्यवस्थित करने की जिम्मेदारी बहुत बड़ी थी. हमारी सरकार ने तब खराब स्थिति पर श्वेत पत्र लाने से परहेज किया. इससे नकारात्मक परिणाम होता कथा और निवेशकों सहित सभी के विश्वास को हिला दिया. समय की मांग थी कि लोगों को आशा दी जाए, घरेलू और वैश्विक निवेश आकर्षित किया जाए और बहुत जरूरी सुधारों के लिए समर्थन तैयार किया जाए. सरकार ‘राष्ट्र-‘ में विश्वास करती थी. पहले और राजनीतिक अंक हासिल करने में नहीं.”
श्वेत पत्र में कहा गया है कि “अब जब हमने अर्थव्यवस्था को स्थिर कर दिया है और इसे पुनर्प्राप्ति और विकास पथ पर स्थापित कर दिया है तो यूपीए सरकार द्वारा विरासत के रूप में छोड़ी गई- प्रतीत होने वाली दुर्गम चुनौतियों को सार्वजनिक डोमेन में रखना आवश्यक है.”