Mahashivratri Tapotsav : गाजियाबाद, सनातन संस्कृति में हरपल हरक्षण आनंद की बात होती है, इसके सबसे बड़े प्रमाण हैं सनातनी त्योहार और इसी श्रंखला में एक बड़ा पर्व है महाशिवरात्रि. ग़ाज़ियाबाद के हिसाली गांव स्थित पावन चिंतन धारा आश्रम भी सनातन पर्व मनाने में सदैव अग्रणी भूमिका निभाता है जहां प्रत्येक वर्ष की भांति परमपूज्य संत प्रोफेसर पवन सिन्हा ‘गुरुजी’ के सान्निध्य में भव्यता और दिव्यता के साथ महाशिवरात्रि तपोत्सव आयोजित किया गया.
गौरतलब है विगत 9 वर्षों से इस विशिष्ट रात्रि की तप साधना हेतु भारत के विभिन्न शहरों से साधकगण आश्रम पहुंचते हैं तथा स्वयं शिवलिंग निर्माण कर शिवपुराण में वर्णित षोडशोपचार विधि से उसका रुद्राभिषेक करते हैं. इस बार भी महाशिवरात्रि तपोत्सव का आयोजन किया गया जिसमें पूज्य पवन सिन्हा ‘गुरुजी’ के मार्गदर्शन में साधकों ने ध्यानाभ्यास भी किया. उसके पश्चात ब्रह्ममुहूर्त में आश्रम के पुरोहित जी द्वारा नमक चमक पाठ एवं मंत्रोच्चारण कर भगवान शिव का रुद्राभिषेक करवाया गया
पूज्य गुरुजी ने शिवविवाह में भूतों की भूमिका पर बात करते हुए कहा कि ये प्रेत वाले नहीं अपितु पंचमहाभूत हैं जिन्हें साधते हुए शिव ने तंत्रयोग की स्थापना की. महाशिवरात्रि का मुहूर्त और महत्व दोनों ही किसी साधक के लिये अतिमहत्वपूर्ण है. भक्ति के लिये साधना में स्पंदन चाहिये जिसमे ॐ (प्रणव अक्षर) का विशेष महत्व है इसलिये ॐ का सही उच्चारण कर इसका अभ्यास करते रहना चाहिये. शिव की उपासना के शिव जैसा होना होगा इसलिये भगवान शिव को पूर्ण समर्पित होंगे तभी आज की रात्रि साधना का लाभ मिलता है. गुरुजी ने साधकों को साधना सम्बंधित कुछ विशेष उपाय भी बताए.
आश्रम के सुरसाधकों द्वारा भजनों पर साधकगण थिरकते रहे वहीं सांस्कृतिक प्रकल्प ‘परिवर्तन’ की बच्चियों ने भी भगवान शिव पार्वती के जीवन की घटनाओं पर आधारित एक संगीतमयी नाटिका प्रस्तुत कर समां बांध दिया. अंत में आदित्यहृदय स्त्रोत पाठ के साथ यह अनुष्ठान पूर्ण हुआ.